Category Archives: Pooja

Aarti Jaharveer GogaJi

आरती जाहरवीर गोगाजी जय -जय जाहरवीर हरे,जय -जय गोगावीर हरे ,धरती पर आकर के भक्तों के कष्ट हरे जय जय —-जो कोई भक्ति करे प्रेम से , निसादिन करे प्रेम से ,भागे दुःख परे ,विघ्न हरन मंगल के दाता,जन -जन का कष्ट हरे ,जेवर राव के पुत्र कहाए,रानी बाछल माता ,बागड़ में जन्म लिया गुगा… Read More »

Aarti Maa Kali

आरती माँ काली अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली ।तेरे ही गुण गाये भारती, ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥ तेरे भक्त जनो पर, भीर पडी है भारी माँ ।दानव दल पर टूट पडो, माँ करके सिंह सवारी ॥सौ-सौ सिंहो से बलशाली, अष्ट भुजाओ वाली, दुष्टो को पलमे संहारती ।ओ… Read More »

Aarti Vaishno Mata Ji

आरती वैष्णो माता जी जय वैष्णवी माता, मैया जय वैष्णवी माता ।हाथ जोड़ तेरे आगे, आरती मैं गाता ॥॥ जय वैष्णवी माता, मैया जय वैष्णवी माता ॥ शीश पे छत्र विराजे, मूरतिया प्यारी ।गंगा बहती चरनन, ज्योति जगे न्यारी ॥॥ जय वैष्णवी माता, मैया जय वैष्णवी माता ॥ ब्रह्मा वेद पढ़े नित द्वारे, शंकर ध्यान… Read More »

Aarti Laxmi Mata Ki

आरती लक्ष्मी माता की ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥ उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता, मैय्या तुम ही जग माता।सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ओम जय लक्ष्मी माता॥ दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता, मैय्या सुख संपत्ति पाता।जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ओम जय… Read More »

Aarti Khatu Shyam Ji

आरती खाटू श्याम जी ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे ।खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे॥ ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे । रतन जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुरे ।तन केसरिया बागो, कुण्डल श्रवण पड़े ॥ ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे… Read More »

Aarti Shiv Ji

आरती शिव जी ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।त्रिगुण रूप निरखत त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय… Read More »

Aarti Shri Shani Dev Ji

आरती श्री शनिदेव जी जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ॥॥ जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ॥ श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी ।नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी ॥॥ जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ॥ क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी ।मुक्तन की माला गले… Read More »

Aarti Shri Satyanarayan Ji

आरती श्री सत्यनारायण जी ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा । रत्‍‌न जडि़त सिंहासन, अद्भुत छवि राजै ।नारद करत निराजन, घण्टा ध्वनि बाजै ॥ ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा । प्रकट भये कलि कारण, द्विज को दर्श दियो ।बूढ़ा ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो ॥ ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी… Read More »

Aarti Om Jai Jagdish Hare

आरती ॐ जय जगदीश हरे ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे ।भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥ जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का, स्वामी दुःख बिनसे मन का ।सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन… Read More »

Aarti Ganesh Ji

आरती गणेश जी जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥ एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥ पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥ जय गणेश जय गणेश, जय गणेश… Read More »

Shri Hanuman Chalisa

श्री हनुमान चालीसा दोहाश्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि।बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। चौपाईजय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।कंचन बरन बिराज सुबेसा।… Read More »

Aarti Shri Hanuman Ji

आरती श्री हनुमान जी आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥ जाके बल से गिरवर काँपे। रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥अंजनि पुत्र महा बलदाई। संतन के प्रभु सदा सहाई ॥आरती कीजै हनुमान लला की ॥ दे वीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाये ॥लंका सो कोट समुद्र सी खाई।… Read More »

Maha Mrityunjaya Mantra

महामृत्युंजय मंत्र ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् | महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ हम त्रिनेत्र को पूजते हैं, जो सुगंधित हैं, हमारा पोषण करते हैं, जिस तरह फल, शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है, वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं।

Gayatri Mantra

गायत्री मन्त्र ॐ भूर्भव: स्व:तत्सवितुर्वरेण्यंभर्गो देवस्य धीमहिधियो यो न: प्रचोदयात्॥ भावार्थ उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।